How Much You Need To Expect You'll Pay For A Good रोज़ सुबह उठने के बाद ये जरुर सुनो

करो तो तकलीफ और न करो तो शिकायत होती है!

सिर्फ यादों के सहारे ही जिया करते हैं।

थोड़ी-सी ख़ाक-ए-कूचा-ए-दिलबर ही ले चलें!

हमें और भी काम हैं तुम्हें याद करने के सिवा।

वो कौन था जो यूँ गुजर गया मेरी यादों से।

तो वादा है हम भी आपको कभी भुलायेंगे नहीं।

कैसे कह दूँ की सिर्फ़ साँसों क सहारे जिंदा हूँ;

रोये थे जिन पलों में याद कर उन्हें हँसी आती है;

वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में।

तड़पने के लिए हमारी बस एक याद ही काफी होगी।

मर जाता मैं हिचकियो से, इतना मुझे याद किया।

कहीं वो ना जल जाए more info जो दिल में छुपा रखा है।

Franz Brentano turned down the principle on the unconscious in his 1874 guide Psychology from an Empirical Standpoint, Though his rejection followed largely from his definitions of consciousness and unconsciousness.[33]

आदतन तुमने कर दिये वादे, आदतन हमनेँ भी ऐतबार किया;

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